
जोधपुर इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन व राजस्थान लाइम मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल लोकसभा सांसद श्री गजेन्द्रसिंह शेखावत के नेतृत्व में केन्द्रीय खान मंत्री श्री नरेन्द्रसिंह तोमर व केन्द्रीय खान सचिव श्री बलवेन्दर कुमार से नई दिल्ली स्थित उनके कार्यालय में मिला तथा उन्हें लाइम उद्योग पर मंडरा रहे अस्तित्व के संकट के बारे में जानकारी व प्रतिवेदन देते हुए समस्या के शीघ्रातिशीघ्र निवारण की मांग की। प्रतिनिधि मंडल में जेआईए सचिव श्री ओमप्रकाश लोहिया, पूर्व अध्यक्ष श्री एस. एन. भार्गव व श्री रामनिवास चैहान शामिल थे। खान मंत्री श्री तोमर ने प्रतिनिधिमंडल को समस्या के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया है।
सचिव श्री ओमप्रकाश लोहिया ने बताया कि प्रतिवेदन में जानकारी दी गई कि पश्चिमी राजस्थान के सबसे पुराने उद्योगों में से एक चूना भट्टा उद्योग वर्तमान में कच्चे माल की कमी की वजह से अस्तित्व के संकट से गुजर रहे है। यहां कार्यरत 800 से 1000 सूक्ष्म, लघु व मध्यम स्तर की इन औद्योगिक इकाइयों के पास कच्चे माल (चूना पत्थर) का स्वयं का कोई स्रोत नहीं हैं, न ही कोई खनन पट्टा स्वीकृत है। पूर्व में राज्य सरकार द्वारा खींवसर एवं आस-पास के क्षेत्रों में उपलब्ध केमिकल ग्रेड लाइम स्टोन को सीमेन्ट उद्योग के लिए आरक्षित कर देने के कारण इस उद्योगों को कच्चा माल मिलना बहुत मुश्किल हो गया है। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा घोषित नई मिनरल पाॅलिसी में लाइम स्टोन को माइनर मिनरल से हटाकर मेजर मिनरल में डाल दिया गया है तथा खान आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया को निर्धारित किया गया है। इस कारण समस्त चूना भट्टा उद्योग के अस्तित्व पर ही संकट आ गया है।
राज्य के नागौर, जोधपुर व पाली जिले में उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाला लाइम स्टोन (Chemical Grade) सम्पूर्ण भारत के किसी भी अन्य क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है तथा इसकी मात्रा केवल 3 प्रतिशत ही है। अगर देश के इस मात्र् 3 प्रतिशत उपलब्ध केमिकल ग्रेड लाइम स्टोन को भी सीमेन्ट के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा तो न सिर्फ एक राष्ट्रीय अपराधिक कृत्य होगा अपितु देश के सभी अति महत्वपूर्ण उद्योगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना होगा।
यहां पर उत्पादित चूना भारत वर्ष के सभी राज्यों कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी एवं गुजरात से लेकर असम एवं सुदूरपूर्वी राज्यों की औद्योगिक इकाइयों मुख्यतः रसायन, फार्मास्युटिकल्स, एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (Effluent treatment Plant), शुगर, पेपर, स्टील, फर्टिलाइजर, बिल्डिंग मेटेरियल, एल्यूमीनियम, चमड़ा उद्योग, परमाणु उद्योग एवं रिफाइनरी जैसे अनेक राष्ट्र के समग्र विकास में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उद्योगों को सप्लाई किया जाता है। उपरोक्त उद्योगों को अपनी अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए चूने का आयात करना पड़ रहा है, जिससे देश को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है। जबकि सीमेन्ट ग्रेड चूना पत्थर लगभग सभी राज्यों में उपलब्ध है एवं लगभग सभी प्रमुख राज्यों में सीमेन्ट का उत्पादन हो रहा है।
खान मंत्री से निवेदन किया गया कि सीमेन्ट ग्रेड लाइम स्टोन को शुद्धता के अनुसार केमिकल ग्रेड व सीमेन्ट ग्रेड में विभाजित कर दिया जाए तथा केमिकल ग्रेड चूना पत्थर के क्षेत्रों को अलग से वगीकृत कर तथा नागौर, जोधपुर व पाली जिले में सीमेन्ट उद्योगों के लिए आरक्षित चूने की खानों को अनारक्षित कर चूना भट्टाधारकों हेतु चिन्हित कर आरक्षित किया जावें। नव परिभाषित केमिकल ग्रेड लाइम स्टोन को माइनर मिनरल में रखते हुए चूना उत्पादन हेतु इन माइंस को छोटे आकार में परिवर्तित कर वरीयता के आधार पर इन उद्योग धारकों को आवंटित किया जाए।
खान मंत्री श्री नरेन्द्रसिंह तोमर ने समस्या को गंभीरता से लेते हुए प्रतिनिधिमंडल को समस्या के शीघ्र समाधान हेतु आश्वासन दिया तथा खान सचिव श्री बलवेन्दर कुमार को दिशा-निर्देश प्रदान किए।