भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुम्बई, वैज्ञानिक, राधेश्याम सोनी – माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमेन इंजीनियर आर.के. व्यास से अपनी इच्छा व्यक्त की वह अपशिष्ट जल को पुनः उपयोग में लाने योग्य बनाने हेतु कोई तकनीक विकसित करें। बीएआरसी द्वारा विकसित की गई तकनीक टेक्सटाइल उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल के उपचार के लिए प्रभावी लागत और सरल होने जा रही है।

जेआईए, अध्यक्ष, एन.के. जैन – जिस दिन से मैंने सुना है कि इस तरह की तकनीक बीएआरसी के पास उपलब्ध है, हमने जेआईए में कडे़ प्रयास करते हुए आज डेमो यूनिट को सफलतापूर्वक स्थापित किया और इसका संचालित किया है। और इसके परिणाम भी काफी उत्साह जनक है क्योकि यह तकनीक उद्योगों को बड़े हद तक पानी को रीसायकल करने में मदद करेंगी।

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जोधपुर,  क्षेत्रीय अधिकारी, श्रीमती शिल्पी शर्मा – बीएआरसी द्वारा उपचार संयंत्र टेक्सटाइल उद्योगों के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। आशा है कि प्रायोगिक संयंत्र औद्योगिक क्षेत्र के लिए आश्चर्यचकित होगा और जल्द ही उपलब्ध होगा। मैं बीएआरसी के वैज्ञानिकों को बधाई देती हूं और इस तकनीक को जोधपुर में लाने के लिए प्रयास करने के लिए जेआईए को धन्यवाद देती हूं।

बुधवार, 25 मई 2022। जोधपुर इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन और जोधपुर प्रदूषण नियंत्रण और अनुसंधान फाउंडेशन के पदाधिकारियों की उपस्थिति और परमाणु ऊर्जा विभाग, मुम्बई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के उत्कृष्ट वैज्ञानिक राधेश्याम सोनी के सानिध्य में गुरूवार को बीएआरसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी विरेन्द्र कुमार और निलांजल मिश्रा ने उनके विभाग द्वारा निर्मित टेक्सटाइल उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को पुनः उपयोग में लाने योग्य बनाने वाली नवीन तकनीक युक्त उपकरण को हैवी इंडस्ट्रियल एरिया स्थित टेक्सटाइल उद्योग में लगाकर परीक्षण कर उसकी कार्यप्रणाली की संपूर्ण जानकारी उद्यमियों को दी।

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के उत्कृष्ट वैज्ञानिक श्री राधेश्याम सोनी ने उद्यमियों को बताया कि यह उपकरण जल प्रदूषण से आयनिक रंगों को हटाने के लिए रेडिएशन ग्राफ्टेड सेलूलोज़ आधारित तकनीक युक्त है। जो तकनीक कार्ट्रिज का उपयोग कर कपास वस्त्र उद्योगों से निकलेने वाले रंगीन पानी से रंगों और रसायनों के सोखने का कार्य करता है। इसमें सेलूलोज़ आधारित कार्ट्रिज फ़िल्टर का उपयोग करके, जिन्हें आइरानिक्ली लगाया जाता है और इन कार्ट्रिज को बीएआरसी में विकिरण इकाई से गुजरकर आयनात्मक रूप से सक्रिय किया जाता है। इन कार्ट्रिज में किसी प्रकार का कोई रेडिएशन नहीं होता है उन्हें सूती वस्त्र उद्योगों में उपयोग किए जाने वाले रंगों और रसायनों के शोषण के लिए रासायनिक रूप से सक्रिय किया जाता है।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस में उपयोग होने वाला कार्ट्रिज गामा रेडिएशन को निष्क्रिय कर देते है जिससे इसके अन्दर जितने भी आयरन है वह इसमें रह जाते है और साफ पानी हमे मिलता है यह साफ पानी खेतो में और पुनः काम में लेने योग्य हो जाता है। इस उपकरण को छोटी इकाईयों में भी पोर्टेबल, फिक्स्ट या ओवरहेड संरचनाओं से लटका कर स्थापित किया जा सकता है। यह तकनीक पहले ही देश में लगभग 8 से 10 स्थानों पर स्थापित की जा चुकी है जिसमें सूरत में गार्डन वेरेली और गुजरात के जैतपुर में कुटीर उद्योग शामिल हैं।

जेआईए अध्यक्ष एन.के.जैन ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा निर्मित उपकरण के परीक्षण के पश्चात प्राप्त परिणामों को देखते हुए कहा कि जिस दिन से हमे ज्ञात हुआ है कि इस तरह की तकनीक बीएआरसी के पास उपलब्ध है, हमने जेआईए में कडे़ प्रयास करते हुए इस नवीन तकनीक वाले उपकरण को जोधपुर में स्थापित करने हेतु प्रयास प्रारम्भ कर दिये थे। आज डेमो यूनिट को जोधपुर में सफलतापूर्वक स्थापित और इसका संचालित भी किया गया है। इसके परिणाम भी काफी उत्साह जनक है इससे जोधपुर और आस पास के औद्योगिक क्षेत्रों में वर्षो से चली आ रही अपशिष्ट जल की समस्या से निजात मिलेगी। क्योकि यह तकनीक उद्योगों को बड़े हद तक पानी को रीसायकल करने में मदद करेंगी।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस परीक्षण में लिये गये प्रदूषित पानी के सैम्पल में ना सिर्फ रंग में परिवर्तन हुआ बल्कि उद्योगों से लिये गये सैम्पल के टीडीएस में 40 प्रतिशत और एसटीपी प्लांट से लिये गये पानी में लगभग 30 प्रतिशत टीडीएस की कमी देखी गई। इसपर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा आगे भी नये-नये अनुसंधान करके एक अच्छा मॉडल तैयार किया जाये। इसके लिए जोधपुर इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन ने बीएआरसी के साथ एक एमओयू साइन किया है इसके तहत एक प्लांट 25 केएलडी का जोधपुर में शीघ्र ही स्थापित किया जायेगा और उसके पूरे रखरखाव की जिम्मेदारी भी बीएआरसी की होगी। एक वर्ष के परिणाम आने के बाद इसे व्यवसायों को सौंपा जायेगा। यह जोधपुर नहीं बल्कि पूरे राजस्थान के लिए एक वरदान साबित होगा। यह तकनिक अपशिष्ट जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम सिद्व होगा। उन्होंने इस अवसर पर बीएआरसी के वैज्ञानिकों की भूरि भूरि प्रशंसा की।

इस अवसर पर जोधपुर प्रदूषण नियंत्रण और अनुसंधान फाउंडेशन निदेशक गजेन्द्रमल सिंघवी और अशोक कुमार संचेती, प्रबंध निदेशक जी.के.गर्ग, कार्यकारी निदेशक ज्ञानीराम मालू, कोषाध्यक्ष मनोहर लाल खत्री एवं जेआईए सहसचिव अनुराग लोहिया सहित अनेक उद्यमी उपस्थित थे।

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